Saturday, 8 June 2013

हिन्दू जाती का वीर रक्षक – वीर नाथूराम जी

हिन्दू जाती का वीर रक्षक – वीर नाथूराम जी
आग में पड़कर
भी सोने की दमक जाती नहींI
काट देने से भी हीरे की चमक जाती नहीं I
वीर नाथूराम का जन्म १ अप्रैल १९०४ को हैदराबाद सिंध प्रान्त में हुआ था I
आपके पिता पंडित कीमतराय जी के आप इकलोते पुत्र थे I पंजाब में उठे आर्य समाज के
क्रन्तिकारी आन्दोलन से आप प्रभावित होकर १९२७ में आप आर्यसमाज में सदस्य बनकर
कार्य करने लगें I उन दिनों इस्लाम और ईसाइयत को मानने वाले हिन्दुओं को अधिक से
अधिक धर्म परिवर्तन कर अपने मत में सम्मिलित करने की फिराक में रहते थे I १९३१ में
अहमदिया (मिर्जाई) मत की अंजूमन ने सिंध में कुछ विज्ञापन निकल कर हिन्दू धर्म और
हिन्दू वीरों पर गलत आक्षेप करने शुरू कर दिए I जिसे पड़कर आर्यवीर नाथूराम से रहा
न गया और उन्होंने इसाइयो द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘तारीखे इस्लाम’ का उर्दू से
सिन्धी में अनुवाद कर उसे प्रकाशित किया और एक ट्रैक लिखा जिसमे मुसलमान मौल्वियो
से इस्लाम के विषय में शंकाऐ पूछी गयी थी I ये दोनों साहित्य नाथूराम जी ने निशुल्क
वितरित करे I इससे मुसलमानों में खलबली मच गयी I उन्होंने भिन्न भिन्न स्थानों में
उनके विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया I इन हलचलों और विरोध का परिणाम हुआ की सरकार ने
नाथूराम जी पर अभियोग आरंभ कर दिया I नाथूराम जी ने कोर्ट में यह सिद्ध किया की
प्रथम तो ये पुस्तक मात्र अनुवाद हैं इसके अलावा इसमें जो तर्क दिए गए हैं वे सब
इस्लाम की पुस्तकों में दिए गए प्रमाणों से सिद्ध होते हैं I जज ने उनकी दलीलों को
अस्वीकार करते हुए उन्हें १००० रूपये दंड और कारावास की सजा सुनाई I इस पक्षपात
पूर्ण निर्णय से सारे सिंध में तीखी प्रतिक्रिया हुई I इस निर्णय के विरुद्ध चीफ़
कोर्ट में अपील करी गयीI
२० सितम्बर १९३४ को कोर्ट में जज के सामने नाथूराम
जी ने अपनी दलीले पेश करी I अब जज को अपना फैसला देना था Iतभी एक चीख से पूरी अदालत
की शांति भंग हो गयीI अब्दुल कय्यूम नामक मतान्ध मुस्लमान ने नाथूराम जी पर चाकू से
वार कर उन्हें घायल कर दिया जिससे वे शहिद हो गएI चीफ जज ने वीर नाथूराम के मृत देह
को सलाम किया I बड़ी धूम धाम से वीर नाथूराम की अर्थी निकली I हजारो की संख्या में
हिन्दुओ ने वीर नाथूराम को विदाई दीI अब्दुल कय्यूम को पकड़ लिया गया I उसे बचाने की
पूरजोर कोशिश की गयी मगर उससे फंसी की सजा हुई I


उसकी लाश को कब्र से निकाल कर मतान्ध मुसलमानों ने उसका जुलुस
निकालाI मजहबी जोश में इतना हो हल्ला किया गया की दंगे जैसे स्थिति उत्पन्न हो गयी
I सरकार को सेना बुला कर स्थिति को संभालना पड़ा I मुस्लिम समाचार पत्र अब्दुल को
सही और गाजी करार देने में लगे रहे जबकि हिन्दू समाचार पत्रों ने वीर बलिदानी की यश
गाथा गई I वीर हकीकत राय और वीर राजपाल के बलिदान की यादें ताजा हो गयी
I
वीर नाथूराम जी एक धीर, उत्साही आर्य युवक थे I न्याय मार्ग पर चलते हुए
उन्हें परमेश्वर के अलावा किसी का डर नहीं था I उनमे स्वाभिमान कूट-कूट भरा था I
हिन्दू जाती पर करे गए अश्लील आक्रमण का उन्होंने वीरता पूर्ण तरीके से उत्तर दिया
I प्राण दिए पर मान नहीं दिया I अपने बलिदान से उन्होंने आर्य जाती का मस्तक ऊँचा
कर दिया I आज भी वीर नाथूराम जी का बलिदान हिन्दू युवको को सांप्रदायिक ताकतों के
खिलाफ लड़ने में प्रकाश स्तम्भ का काम दे रहा हैं I

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