Saturday, 1 June 2013

नारी जाति बलात्कार, अश्लील टिप्पणियाँ आदि से कैसे अपनी रक्षा करे।



स्वामी स्वतंत्रानंद जी महाराज ब्रहमचर्य, शारीरिक बल को बढ़ाने पर अत्यंत जोर देते थे।
एक किस्सा वे सदा सुनाया करते थे।
रात के समय एक सरदार जी अपनी पत्नी के साथ ट्रेन से एक छोटे स्टेशन पर पहुँचे। रात के समय सयोग से उन्हें एक तांगे वाला मिल गया। जब निश्चित स्थान पर जाने को तांगे वाले से कहाँ तो वह बोला की उस रास्ते पर तो रात के समय ठग होते हैं। सरदार जी गर्ज कर बोले आने दो देख लेवा गे। शाना नूँ।
रास्ते में तांगे वाला सरदार जी से बोला जी मेरे पास तो सिवाय तांगे के कुछ नहीं हैं आप अपने समान की रक्षा स्वयं करना।
सरदार जी ने हाँ भर दी।
कुछ दूर चलने पर उनका सामना सात ठगों के एक गिरोह से हो गया।
सरदार जी बोले चार को तो मैं ही देख लूँगा।
सरदारनी बोली दो को मैं निपटा दूँगी।
अब तांगे वाला सोचने लगा की मैं कोई हिजड़ा हूँ जो एक को भी नहीं संभाल सकता।
जोश में आकर उसने अपना चाबूक घुमाया और उन तीनों को देखकर ठग पीछे हट गए और रास्ता थोड़ दिया। ठगों के बीच से वे सकुशल आसानी से निकल गए।
सन्देश- जहाँ शारीरिक क्षमता होती हैं वहा किसी भी प्रकार का भय नहीं होता।
पुरुष के साथ साथ नारी जाति भी अगर बलशाली हो तो बलात्कार, छेड़खानी, अश्लील टिप्पणियाँ सुनाने वालो के होश भली प्रकार से ठिकाने लगाये जा सकते हैं।
डॉ विवेक आर्य

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