Friday 7 June 2013

कब्र पूजा – मुर्खता अथवा अंधविश्वास



कब्र पूजा – मुर्खता अथवा अंधविश्वास
रोजाना के अखबारों में एक खबर आम हो गयी हैं की अजमेर स्थित ख्वाजा मुईन-उद-दीन चिश्ती अर्थात गरीब नवाज़ की मजार पर बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अभिनेत्रियो अथवा क्रिकेट के खिलाड़ियो अथवा राज नेताओ का चादर चदाकर अपनी फिल्म को सुपर हिट करने की अथवा आने वाले मैच में जीत की अथवा आने वाले चुनावो में जीत की दुआ मांगना. भारत की नामी गिरामी हस्तियों के दुआ मांगने से साधारण जनमानस में एक भेड़चाल सी आरंभ हो गयी हैं की उनके घर पर दुआ मांगे से बरकत हो जाएगी , किसी की नौकरी लग जाएगी , किसी के यहाँ पर लड़का पैदा हो जायेगा , किसी का कारोबार नहीं चल रहा हो तो वह चल जायेगा, किसी का विवाह नहीं हो रहा हो तो वह हो जायेगा .कुछ सवाल हमे अपने दिमाग पर जोर डालने को मजबूर कर रहे हैं जैसे की यह गरीब नवाज़ कौन थे ?कहाँ से आये थे? इन्होने हिंदुस्तान में क्या किया और इनकी कब्र पर चादर चदाने से हमे सफलता कैसे प्राप्त होती हैं? गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले , हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करने वाले ,भारत के अंतिम हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान को हराने वाले व जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने वाले मुहम्मद गौरी के साथ भारत में शांति का पैगाम लेकर आये थे.पहले वे दिल्ली के पास आकर रुके फिर अजमेर जाते हुए उन्होंने करीब ७०० हिन्दुओ को इस्लाम में दीक्षित किया और अजमेर में वे जिस स्थान पर रुके उस
स्थान पर तत्कालीन हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान का राज्य था. ख्वाजा के बारे में
चमत्कारों की अनेको कहानियां प्रसिद्ध हैं की जब राजा पृथ्वी राज के सैनिको ने
ख्वाजा के वहां पर रुकने का विरोध किया क्योंकि वह स्थान राज्य सेना के ऊँटो को
रखने का था तो पहले तो ख्वाजा ने मना कर दिया फिर क्रोधित होकर शाप दे दिया की जाओ तुम्हारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा. जब राजा के कर्मचारियों नें देखा की वास्तव में ऊंट उठ नहीं पा रहे हैं तो वे ख्वाजा से माफ़ी मांगने आये और फिर कहीं जाकर ख्वाजा ने ऊँटो को दुरुस्त कर दिया. दूसरी कहानी अजमेर स्थित आनासागर झील की हैं. ख्वाजा अपने खादिमो के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने एक गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया.कुछ खादिम पनसिला झील पर चले गए कुछ आनासागर झील पर ही रह गए .

उस समय दोनों झीलों के किनारे करीब १००० हिन्दू मंदिर थे, हिन्दू ब्राह्मणों ने मुसलमानों के वहां पर आने का विरोध किया और ख्वाजा से शिकायत करी.
ख्वाजा ने तब एक खादिम को सुराही भरकर पानी लाने को बोला. जैसे ही सुराही को पानी में डाला तभी दोनों झीलों का सारा पानी सुख गया. ख्वाजा फिर झील के पास गए और वहां स्थित मूर्ति को सजीव कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया.ख्वाजा के इस चमत्कार की सारे नगर में चर्चा फैल गयी. पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधान मंत्री जयपाल को ख्वाजा को काबू करने के लिए भेजा. मंत्री जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर डाली पर असफल रहा और ख्वाजा नें उसकी सारी शक्तिओ को खत्म कर दिया. राजा पृथ्वीराज चौहान सहित सभी लोग ख्वाजा से क्षमा मांगने आये. काफी लोगो नें इस्लाम कबूल किया पर पृथ्वीराज चौहान ने इस्लाम कबूलने इंकार कर दिया. तब ख्वाजा नें भविष्यवाणी करी की पृथ्वी राज को जल्द ही बंदी बना कर इस्लामिक सेना के हवाले कर दिया जायेगा.निजामुद्दीन औलिया जिसकी दरगाह दिल्ली में स्थित हैं ने भी ख्वाजा का स्मरण करते हुए कुछ ऐसा ही लिखा हैं. बुद्धिमान पाठकगन स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं की इस प्रकार के करिश्मो को सुनकर कोई मुर्ख ही इन बातों पर विश्वास ला सकता हैं.भारत में स्थान स्थान पर स्थित कब्रे उन मुसलमानों की हैं जो भारत पर आक्रमण करने आये थे और हमारे वीर हिन्दू पूर्वजो ने उन्हें अपनी तलवारों से परलोक पंहुचा दिया था. ऐसी ही एक कब्र बहरीच गोरखपुर के निकट स्थित हैं. यह कब्र गाज़ी मियां की हैं. गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था एवं उनका जन्म अजमेर में हुआ था.उन्हें गाज़ी की उपाधि काफ़िर यानि गैर मुसलमान को क़त्ल करने पर मिली थी.गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण करके गुजरात स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था. कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहाँ पर रहने के लिए गजनी चला गया. कुछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को
मुहम्मद गजनी ने नाराज होकर देश से निकला दे दिया. उसे इस्लामिक आक्रमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया. हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारों हिन्दुओं का क़त्ल अथवा उन्हें गुलाम बनाते हुए, नारी जाती पर अमानवीय कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारो तरफ अपनी फौजे भेजी.

कौन कहता हैं की हिन्दू राजा कभी मिलकर नहीं रहे? मानिकपुर, बहरैच आदि के २४ हिन्दू राजाओ ने राजा सोहेल देव पासी के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और इस्लामिक सेना का संहार कर दिया.राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर एक तीर मारा जिससे की वह परलोक पहुँच गया. उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फ़ेंक दिया गया. हिन्दुओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था बल्कि अगले २०० सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ. कालांतर में फ़िरोज़ शाह तुगलक ने अपनी माँ के कहने पर बहरीच स्थित सूर्य कुण्ड नामक तालाब को भरकर उस पर एक दरगाह और कब्र गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उर्स लगने लगा. मेले में एक कुण्ड में कुछ बेहरूपियें बैठ जाते हैं और कुछ समय के बाद लाइलाज बिमारिओं को ठीक होने का ढोंग रचते हैं. पुरे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमत्कारों का शोर मच जाता हैं और उसकी जय-जयकार होने लग जाती हैं. हजारों की संख्या में मुर्ख हिन्दू औलाद की, दुरुस्ती की, नौकरी की, व्यापार में लाभ की दुआ गाज़ी मियां से मांगते हैं, शरबत बांटते हैं , चादर चदाते हैं और गाज़ी मियां की याद में कव्वाली गाते हैं .कुछ सामान्य से १० प्रश्न हम पाठको से पूछना चाहेंगे.

१.क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि हैं वो किसी की मनोकामना
पूरी कर सकती हैं?

२. सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे?

३. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा ३३ करोड़ देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं?

४. जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही सफलता
प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?

५. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं?

६. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता हैं?

७. हिन्दू जाती कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा
कर प्राप्त कर रहीं हैं जो वेदों- उपनिषदों में कहीं नहीं गयीं हैं?

८. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ?

९. इतिहास की पुस्तकों कें गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी ऐसी मानसिकता को बनाना नहीं हैं?

१०. क्या हिन्दू फिर एक बार २४ हिन्दू राजाओ की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आये संकट जैसे की आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन,नक्सलवाद,बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपेठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते?

आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा . अगर आप
आर्य राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण
अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में प्रकाशित करें.



4 comments:

  1. Nice thought Sir, Rahi bat ye netao aur abhinetao ki to inka koi dharm nahi hai ye kuch bhi kar sakte hai

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  2. jay shree ram.
    or baaki sab bakwas hai.

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  3. Mere ghar se 5 Km peeche hi Bakhtiyar khilji ka makabra hai jisne Nalanda Vishwa-vidyalay ko jalaya tha.. Aaj us makbre ko sarkaari sanrakshan prapt hai.. Ab aur kuch kahne ko bachta bhi kya hai?

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  4. भारत हमेशा से बहुत बडा दिल वाला देश रहा हैं. आर्य को आगे आना होगा.

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