डॉ विवेक आर्य
धर्म बनाम ढोंग – पाखंड खंडन
(सत्य तथ्यों पर आधारित)
श्याम परिवार की कठिनाइयों से परेशान सा रहता था.इधर माता पिता बूढ़े होने के कारण अस्वस्थ से रहते थे उधर विवाह के कई वर्ष बाद पैदा हुआ एकलौते बच्चा भी जन्म से ही अस्वस्थ रहता था.इधर नौकरी भी पूरे परिवार का पेट पालने के लिए नाकाफी थी उधर छोटी बहन की शादी की चिंता भी सता रही थी. उसका चेहरा सदा उतरा उतरा ही रहता था और जीवन भी रसहीन और बोझ के समान लगता था.सड़क पर चलते हुए श्याम की मुलाकात एक गेरुए वस्त्र पहने हुए, गले में अजगर लटकाएँ हुए बाबा से हुई जिसने उच्ची आवाज़ में कहा बेटा तू बहुत परेशान हैं , तेरे जीवन की सभी कठिनाइयों का ईलाज मेरे पास हैं बच्चा. श्याम ने सोचा की बड़े सिद्ध बाबा हैं जो बिना बताये ही मेरे बारे में इतना कुछ जानते हैं. उसने बाबा के तत्काल पैर पकड़ लिए और उन्हें अपने परिवार की कथानियाँ बताई. बाबा ने कहाँ शिव बाबा की तुम पर बड़ी कृपा होगी पर उसके लिए तुम्हे बाबा की विशेष पूजा अर्चना करनी पड़ेगी. श्याम की स्थिथि कुछ सोचने समझने की नहीं थी उसने तत्काल कहाँ की बाबा बतायिएँ की क्या करना होगा. बाबा बोले की तुम्हारे ऊपर ऊपरी छाया का प्रकोप हैं. किसी ने तुम पर जादू-टोना किया हैं. उसके किये हुए जादू टोने को तोडना होगा, तभी तुम्हारा कल्याण होगा. श्याम को लगा की उसे जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करने का सहारा मिल गया हैं. बाबा ने बताया की अमावस्या की काली रात को शमशान में उन्हें अनुष्ठान करना होगा जिसके लिए १५००० रूपये का खर्चा आयेगा. श्याम ने आमदनी न होते हुए भी अपने पास सब कुछ मिला कर कुल ६००० रूपये बाबा के चरणों में रख दिए और बाबा से कहाँ की बाबा जी अभी यही हैं इन्हीं से गुजरा कर लीजिये. आगे बाकि बचे हुएँ दे दूँगा.बाबा ने तत्काल रूपये लिए और ॐ नम शिवाय का मंत्र पड़ते हुए वहा से चला गया और कह गया की आज से २१ दिन के बाद तेरे सारे कष्ट दूर हो जायेगे.श्याम मन में प्रसन्न होता हुआ वहा से चला गया वह बहुत खुश था . घर पर पंहुचा तो पत्नी ने पूछा की बच्चे की दवाई लेने गए थे इतनी देर से भी आये और दवाई भी नहीं लायें. श्याम दोबारा बाज़ार में दवाई लेने गया तो देखा की दवाई की बगल की शराब की दुकान पर वही बाबा एक दुसरे बाबा के साथ शराब खरीदने के लिए लाइन में खड़ा हुआ था और हँसते हुए दुसरे से कह रहा था अगले दस दिन में तो रोज ६००० रूपये में बड़े आराम से मुर्गा और दारू दोनों मिलेगे, उसके बाद फिर किसी दुसरे बेफकूफ को पकड़ेगे. आज कल धंधा जोरो पर हैं. मूर्खों की संसार में कोई कमी नहीं हैं. श्याम के पैरों से तो मानो जमीन ही खिसक गई. वो जिसको अपने जीवन की सभी समस्यों का निदान समझ रहा था वो तो निरा ढोंगी था. उसने वही उस बाबा के बाल पकड़ लिए और उसे पीटने लगा. उसे तब तक पिटा जब तक उस ढोंगी ने पूरे पैसे वापिस नहीं दे दिए.श्याम को अपनी इस मूरखता पर पश्चाताप हो रहा था और साथ ही साथ उसने ईश्वर को धन्यवाद भी किया की उन्होंने उसे समय रहते बचा लिया. आगे के लिए उसने यह प्रण किया की किसी भी ऐसे ढोंगी के चक्कर में नहीं पड़ेगा और अन्य को भी ऐसे ढोंगियों के बारे में बताएगा.
[जीवन में समस्याएं तो आती ही रहती हैं पर सत्यवादी लोग उनका सामना करने के लिए ईश्वर से सामर्थ्य की प्रार्थना करते हैं, अज्ञान में पड़कर धर्म के नाम पर चल रहे पाखंड का रास्ता नहीं पकड़ लेते हैं]
कहीं आप श्याम तो नहीं ?
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